रायगढ़ । जिले के लैलूंगा में उस वक्त अफरा-तफरी की स्थिति निर्मित हो गई जब जंगलों से भटककर एक गजराज रात्रि में बस स्टैण्ड चौक पहुंच गया। गजराज को बीच बस्ती में देखने से लोग दहशत में आ गए। काफी मशक्कत के बाद हाथी को वापस जंगलों में खदेड़ा गया।
जानकारी के अनुसार रायगढ़ जिले में बीते कई सालों से हाथियों का आतंक व्याप्त है। खासकर गर्मी के दिनों में जंगलों में विचरण करने वाले हाथी भोजन और पानी की तलाश में भटकते-भटकते रिहायशी इलाकों तक आ पहुंचते हैं। ऐसा ही कुछ नजारा शनिवार की रात तकरीबन 9 बजे लैलूंगा में उस वक्त देखने को मिला जब लैलूंगा बस स्टैण्ड में एक हाथी अपने दल से भटककर आ पहुंचा।
सड़क में जहां एक तरफ लोग आवाजाही कर रहे वहीं दूसरी तरफ हाथी सड़कों में घूम रहा था। हाथी तकरीबन 1 घंटे से अधिक समय तक बस्ती रहा इस दौरान उसने कुछ वाहनो को गिरा कर क्षतिग्रस्त कर दिया। वहीं लोग अपने-अपने घरों में दुबककर मोबाइल से हाथी की फोटो और वीडियो लेते रहे।
लैलूंगा के बीच बस्ती में हाथी आने की जानकारी मिलते ही वन विभाग और पुलिस टीम ने तत्काल मोर्चा सम्हालते हुए हाथी को वापस जंगल में खदेडा जिसके बाद ही लोगों ने राहत की सांस ली। हाथी अभी पाकरगांव से रूढेकेला की ओर आगे बढ़ा है। वन विभाग की ओर से एक रेंजर और दो डिप्टी रेंजर, 3 हाथी ट्रैकर सहित 15 वन कर्मियों की टीम हाथी के मूवमेंट को ट्रैक करते हुए उस पर नजर बनाये हुए हैं। वही पूरी गतिविधियों पर कलेक्टर ने भी नजर बनाए हुए थे और वन विभाग को कई दिशा निर्देश दिए हैं। जानकारी के अनुसार इस क्षेत्र में 40 से अधिक हाथी मादा तथा बच्चे के साथ विचरण कर रहे है।
भूख प्यास से नगर आने की आशंका रात होने के चलते नही हुई जनहानि
इन दिनों में जंगल में पर्याप्त मात्रा में भोजन तथा पानी की सुविधा व उन तक नही आ रही है। जिसके चलते ये हाथी भोजन व पानी की तलाश में आ रहे है। इसका प्रमाण बीते दिन भी ग्रामीण अंचल से प्रमाणित हो चुकी है। इसी तरह अगर देखा जाए तो यह नर हाथी रात के अंधरे में नगर प्रवेश किया था। यही वजह रहा कि जनहानि नहीं हुई है। लोगो का मानना है कि दिन में होने से आज का माहौल कुछ और बना हुआ नजर आता।
धरमजयगढ़ वन मंडल के हर रेंज में हाथी की है धमक
धरमजयगढ़ के वनमंडल में हाथियों की धमक से ग्रामीण सहमे हुए नजर आते है। कई गांव ऐसे भी है जहां शाम होते ही आवागमन बंद हो जाता है। गांव के ग्रामीण डर में गांव छोड़कर सुरक्षित ठिकाने में चले जाते है। अब इस तरह हाथी जंगल से निकलकर शहरी आबादी में आने से चिंता का विषय बना हुआ है।
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