शोध में ए.आई.का बुद्धिमत्तापूर्ण उपयोग आवश्यक-डॉ.पाठक

बेमेतरा।  सर्वतोममुखी समाधान शिक्षा संस्कार समिति द्वारा संचालित समाधान महाविद्यालय एवं समाधान आईटीआई में फैकेल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम शोध-क्या, क्यों एवं कैसे? तथा मध्यस्थ दर्शन सह-अस्तित्ववाद में अनुसंधान की सम्भावना विषय पर संपन्न हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन से किया गया। अतिथियों का स्वागत तुलसी के पौधें से किया गया।

इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता ग्लोबल पीस फाऊंडेशन के सलाहकार एवं मध्यस्थ दर्शन के शोधार्थी डॉ.सुरेंद्र पाठक रहें। उन्होंने अपने वक्तव्य में शोध की प्रक्रिया, शोध के प्रकार जैसे गुणात्मक शोध ,मात्रात्मक शोध व मिश्रित शोध, साहित्य की समीक्षा, रिसर्च गैप, परिकल्पना परीक्षण, आंकड़ों का संग्रहण, वर्गीकरण, शोध में उपयोग किए जाने वाले टूल्स, निष्कर्ष एवं संदर्भित ग्रंथ आदि के संबंध में विस्तार पूर्वक बताया।

वर्तमान में अनुसंधान अभिविन्यास का कार्य मार्केटिंग, युद्ध व धार्मिक संस्थानों में किया जा रहा हैं। कार्यक्रम में अगले वक्ता के रूप में अभ्युदय संस्थान अछोटी से मध्यस्थ दर्शन के शोधार्थी एवं कृषि वैज्ञानिक डॉ. संकेत ठाकुर रहें। उन्होंने बताया कि वैज्ञानिक तरीके से शोध पत्र कैसे तैयार किए जाये? शोध पत्र के सभी चरणों के बारे में गंभीरता पूर्वक व क्रमबद्धता से संपन्न करने की जानकारी देकर प्रोत्साहित किया।

मध्यस्थ दर्शन पर आधारित शोध की तीनों विधियों दर्शन के मूल अनुसंधान पर शोध, विविध विचारधाराओं और मध्यस्थ दर्शन का तुलनात्मक अध्ययन तथा मध्यस्थ दर्शन के व्यावहारिक पक्ष का अध्ययन से परिचित कराया। इसके अलावा, शोध व अनुसंधान में अंतर स्पष्ट किया तथा शोध पत्र लिखते समय वस्तुनिष्ठता, वैधता, विश्वसनीयता एवं निश्चयात्मकता को ध्यान रखने पर जोर दिया।

महाविद्यालय के डायरेक्टर डॉ. अवधेश पटेल ने कहा कि हमें शोध क्या, क्यों एवं कैसे? का उत्तर, वैज्ञानिक पद्धति से अच्छे शोध पत्र कैसे लिखा जाए ? को जानने का अवसर प्राप्त हुआ। शोध पत्र लिखने की इस पद्धति का उपयोग हम अवश्य करेंगे। यह कार्यक्रम हम सभी के लिए काफी फलदायक व उपयोगी रहा। महाविद्यालय के डायरेक्टर अविनाश तिवारी ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा कि समाधान महाविद्यालय अपने नाम के अनुरुप कार्य कर रहा हैं। शोध के कार्य को अच्छी तरह व बारी की से समझ लिया जाए। जब भी आप शोध पत्र लिखें, उसमें इतनी स्पष्टता व पारदर्शिता हो कि वह सार्वभौमिकता को स्वीकार हो।

इस कार्य को ईमानदारी पूर्वक किया जाए जिससे आम जनता को भी इसका लाभ मिल सकें। इसी क्रम में समाधान महाविद्यालय एवं ग्लोबल पीस फाउण्डेशन नई दिल्ली इण्डिया के बीच विभिन्न शोध, कान्फ्रेस, कार्यशाला व सेमीनार आदि के उद्देश्य से अनुबंध किया गया।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ताओं को शाल, श्रीफल एवं डायरी से सम्मानित किया गया। इस कार्यक्रम में डाइट रायपुर के शिक्षाविद् के.के.साहू, छत्तीसगढ़ के समाजसेवक मयंक पिंचा, ओंकारेश्वर (मध्यप्रदेश) के अध्यात्म विज्ञान शाला के ट्रस्टी पिताम्बर सिंह ठाकुर, महासमुंद जिले के शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला खुटेरी के सहायक शिक्षक नरसिंग पटेल, नारगोल (गुजरात) के दक्षिणा विद्यालय के प्रबंधक दिलीप काछडिय़ा, प्रेरणा विद्यालय की डायरेक्टर सीता वर्मा, दिनेश पटेल, प्रेरणा विद्यालय की व्याख्याता अनुषा राजन, महाविद्यालय के प्रशासनिक अधिकारी उमेश सिंह राजपूत, आईटीआई की प्राचार्या आशा झा, आईटीआई के अधीक्षक सुबीर टंडन तथा महाविद्यालय के सहायक प्राध्यापक निधि तिवारी, योगेश्वर सिन्हा, रूपेंद्र डहरिया, लक्ष्मीनारायण साहू, स्वीटी मलिक, स्वाति पटेल, नंदनी वर्मा, राजेश गजपाल, राजेश यादव, अंशु दत्ता, राजेंद्र वर्मा, शुभम गजभिये, तुकाराम जोशी, आकाश हिरवानी, जोगेन्द्र साहू गायत्री राजपूत व पूर्ति अग्रवाल, श्रध्दा राजपूत तथा बेमेतरा जिला के अतिरिक्त चार राज्यो से कुल 35 उपस्थित रहें।

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