नई दिल्ली। हरियाणा विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है.सभी पार्टियां रणनीति बनाने में जुटी हुई हैं.हरियाणा की राजनीति के सबसे बड़ी खिलाड़ी हैं बीजेपी और कांग्रेस.इनके अलावा कुछ छोटे-छोटे खिलाड़ी भी हैं.इस बार के चुनाव में कांग्रेस ने अकेले ही चुनाव मैदान में उतरने का फैसला किया है.वहीं हरियाणा में पिछले 10 साल से सरकार चली रही बीजेपी इस बार चुनाव मैदान के लिए साथियों की तलाश कर रही है.जिन पर उसकी नजर है, उनमें से दो दल उसके नेतृत्व वाले एनडीए का हिस्सा हैं तो एक साथी नया है.आइए जानते हैं हरियाणा में बीजेपी के सहयोगियों और उनकी राजनीति के बारे में. हरियाणा विधानसभा का मतदान 1 अक्तूबर और मतगणना 4 अक्तूबर को कराई जाएगी.
हरियाणा में बीजेपी के सहयोगी कौन हो सकते हैं
हरियाणा में बीजेपी को जयंत चौधरी की राष्ट्रीय लोकदल आरएलडी और अशोक कांडा की हरियाणा लोकहित पार्टी का साथ मिला है.ये दोनों दल एनडीए का हिस्सा हैं.आरएलडी जहां केंद्र सरकार में साझीदार है. वहीं हलोपा बीजेपी के नेतृत्व वाली हरियाणा सरकार में शामिल है.वहीं कभी कांग्रेस में रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा की हरियाणा जनचेतना पार्टी भी बीजेपी के साथ आने को तैयार है.
बीजेपी और जयंत चौधरी की उम्मीदें
जयंत चौधरी बीजेपी से चार सीटें मांग रहे हैं.बीजेपी इतनी सीटें उन्हें दे सकती है. से सीटें जाट बाहुल्य और उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे इलाकों में हो सकती हैं.हरियाणा की करीब 20 सीटों पर उत्तर प्रदेश का प्रभाव है. ये सभी इलाके उत्तर प्रदेश की सीमा से लगे हुए हैं. इन इलाकों में जाट अच्छी-खासी संख्या में हैं. इसलिए ही बीजेपी हरियाणा के चुनाव मैदान में जयंत चौधरी को जगह दे रही है.जयंत की आरएलडी ने हरियाणा में लोकसभा का चुनाव तो नहीं लड़ा था. लेकिन उन्होंने हरियाणा में वो प्रचार करने जरूर गए थे. उन्होंने वहां बीजेपी के लिए चुनाव प्रचार किया था.
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