रायपुर। श्री संभवनाथ जैन मंदिर विवेकानंद नगर में आत्मोल्लास चातुर्मास 2024 की प्रवचनमाला जारी है। ओजस्वी प्रवचनकार मुनिश्री तीर्थप्रेम विजयजी म.सा. ने कहा कि धर्म अनुष्ठान ऐसा हो जिसकी सभी प्रशंसा करें। आपका धर्म अनुष्ठान ऐसा होना चाहिए अजैन भी तारीफ करे। कभी भी धर्म अनुष्ठान की निंदा नहीं करनी चाहिए। वर्तमान समय में सभी बुद्धिवादी हो गए हैं। धर्म अनुष्ठानों की निंदा आम हो गई है।
मुनिश्री ने कहा कि यदि नाक में मक्खी बैठी हो तो नाक नहीं उड़ाना चाहिए, मक्खी उड़ाना चाहिए। वैसे ही अनुष्ठानों में यदि कोई अनुशासनहीनता है तो हमें अनुशासनहीनता को दूर करना चाहिए अनुष्ठानों को नहीं। शासन प्रभावना की कभी निंदा नहीं करनी चाहिए। पाप दो प्रकार के होते हैं एक वह जिसमें माफी का चांस होता है। कोई आप पर हमला करें और अपने बचाव में किसी पर वार करें तो न्याय तंत्र भी माफी का प्रावधान है। एक पाप वह जो आप जानबूझकर कर रहे हैं, उसमें माफी नहीं होती है।
मुनिश्री ने कहा कि जब शोभायात्रा निकलती है तो अनेक जीवों के दिल में बोधिबीज पड़ जाता है। शोभायात्रा शास्त्री मर्यादा में निकले, नीति नियम के अनुसार निकले तो उसका आनंद है। शोभायात्रा का सिस्टम और मर्यादा होती है। श्रावक-श्राविका हमेशा मर्यादित वस्त्र पहने, जय जयकार करते हुए शासन की प्रभावना करे तो ऐसी शोभायात्रा को देखकर लोग प्रसन्न होते हैं। इसलिए हमेशा प्रयास करें कि बढ़चढ़कर सभी जिन शासन की प्रभावना करें।
वाचनप्रदाता ओजस्वी प्रवचनकार मुनिश्री तीर्थप्रेम विजयजी म.सा. के पावन सानिध्य में 18 सितंबर से श्रावक-श्राविकाओं के लिए 30 दिवसीय "जैनिज्म कैप्सूल कोर्स" जेसीसी की शुरुआत हुई है। मुनिश्री जयपाल विजयजी म.सा. ,मुनिश्री प्रियदर्शी विजयजी म.सा.,साध्वी रत्ननिधिश्रीजी म.सा., साध्वी रिद्धिनिधिश्रीजी म.सा. आदि की पावन उपस्थिति में सरल और रसाल प्रस्तुति के साथ मात्र 30 दिनों में जैनिज्म की महापरिक्रमा कराई जाएगी। सुबह 7 से 8 बजे तक 20 से 65 वर्ष के आयु वर्ग के श्रावक-श्राविकाओं के लिए विशेष कक्षा का आयोजन किया गया है।
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