चतुर्विद संघ के साथ श्रावक-श्राविकाओं ने पूर्ण किया पर्युषण महापर्व का पांचवा कर्तव्य


रायपुर। श्री संभवनाथ जैन मंदिर विवेकानंद नगर में आत्मोल्लास चातुर्मास 2024 भक्तिभाव से जारी है। रविवार को श्री सिद्धि शिखर विजयोत्सव के अंतिम पड़ाव सिद्धि तप की सफलता पर अणाहारी अरिहंत की महानैवेद्य पूजा "अखिलं मधुरम" भक्तिमय वातावरण में संपन्न हुई। सोमवार को चैत्य परिपाटी का कर्तव्य चतुर्विद संघ के पावन सानिध्य के पूर्ण किया गया।

सोमवार सुबह पर्वाधिराज पर्युषण महापर्व का पांचवां कर्तव्य चैत्य परिपाटी भक्तिभाव के साथ की गई। विवेकानंद नगर संभवनाथ जिनालय से चतुर्विद संघ (गुरुभगवंतों-साध्वीश्रीजी) के साथ रायपुर के सबसे प्राचीन जिनालय श्री ऋषभदेव जैन मंदिर सदर बाजार पहुंचे। यहां गुरु भगवंतो के साथ श्रावक और श्राविकाओं ने सामूहिक रूप से चैत्य वंदन एवं भक्ति की।

चैत्य वंदन के पश्चात तपस्वी मुनिश्री प्रियदर्शी विजयजी म.सा. ने चैत्य परिपाटी के महत्व को समझाया। उन्होंने बताया कि चैत्य परिपाटी में सामूहिक रूप से भक्ति की जाती है । वैसे तो हम प्रतिदिन अकेले जिनालय जाते हैं परमात्मा की भक्ति और पूजन करते हैं लेकिन सामूहिक रूप से जब जाते हैं तो दोनों में बहुत अंतर है। मुनिश्री ने उदारण से समझाया कि जैसे आप घर में रोज भोजन करते हैं और सामूहिक रूप से भोज में शामिल होते हैं तो दोनों में अंतर होता है, दोनों के भाव में अंतर होता है। ठीक वैसे ही सामूहिक पूजन और भक्ति करने और अकेले में भक्ति करने में बहुत अंतर होता है।

मुनिश्री के व्याख्यान के बाद श्री संघ द्वारा नवकारसी रखी गई। सभी भक्ति और पूजन के पश्चात विवेकानंद जिनालय लौटे। चैत्य परिपाटी की शुरुआत बैंड-बाजा और बग्गी के साथ विवेकानंद नगर जिनालय से होकर पुलिस लाइन,बैरन बाजार,महिला थाना चौक,नगर निगम मार्ग,सिटी कोतवाली होते हुए सदर बाजार जिनालय पहुंची। मंगलवार से नियमित चातुर्मासिक प्रवचन की शुरुआत विवेकानंद नगर स्थित उपाश्रय में होगी।

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