पीएम जनमन आवास बनने से फुलेश्वर के विचारों में आया बदलाव

धमतरी। शासन की जन कल्याणकारी योजनाओं से गांव का तेजी से विकास हो रहा है। चाहे प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महाभियान (पी.एम.-जनमन) के तहत विशेष पिछड़ी जनजाति (कमार) बसाहटों एवं परिवारों को मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने एवं योजनाओं से शत्प्रतिशत हितग्राहियों को लाभान्वित करने या महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत अभिसरण से हो रहे कार्यों से सुविधा एवं राहत मिल रही है। इससे गांव की तस्वीर पूरी तरह बदल रही है।

प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महाभियान (पी.एम.-जनमन) के तहत कमार परिवारों का पक्का आवास बनने से आवास का सपना भी साकार हो रहा है। इस योजना से बरसात के दिनों में सांप, बिच्छू, पानी का टपकना, रात भर जागना, ठंड, गर्मी, सीलन इत्यादि से राहत मिली। प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महाभियान (पी.एम.-जनमन) के तहत् देश के गरीब और बेघर लोगों को घर बनवाने के लिए सहायता राशि दी जाती है, और इस राशि की मदद से गरीबी रेखा के नीचे जीवन-यापन करने वाले नागरिक खुद का घर बनाने में सक्षम हो पाते हैं, इस योजना के द्वारा भारत के बेघर और गरीब नागरिकों को आवास देने का कार्य सरकार के द्वारा लगातार किया जा रहा है।

इसी के तहत् जिले के नगरी विकासखण्ड के ग्राम पंचायत कल्लेमेटा निवासी फुलेश्वर कमार ने सरकार का हृदय से आभार माना है। फुलेश्वर बताते हैं कि मैं मजदूरी कर जीवन यापन कर रहा हूं। प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महाभियान (पी.एम.-जनमन) के तहत आवास बनाने के सपना विष्णु देव साय सरकार में पूरा हुआ। जब से पी.एम.-जनमन आवास बनकर पूरा हुआ है, तब से अब रात को चैन की नींद सो रहे हैं।

पूर्व में कच्चा छत खपरैल के आवास होने के कारण हमें अनेक समस्याओं से जूझना पड़ता था। कच्चे मकान में बारिश के दिनों में छत से पानी टपकने और सीलन की वजह से जीवन यापन करना मुश्किल हो जाता था। इसके अलावा कच्चे मकान में कीड़े, मकोड़े और जहरीले जीव जन्तुओं का भी खतरा बना रहता था। कभी सपने में भी सोचा  नहीं था कि मेरा भी एक पक्का मकान बनेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के गारंटी और प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के सुशासन ने हमारी तकदीर ही बदल दी। फुलेश्वर अब अपने परिवार के साथ नए घर में रह रहे हैं। अब वह किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए तैयार है। वह पक्के मकान का मालिक है।

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