रायपुर। अमित जोगी ने केंद्र सरकार से मांग की है कि रतन टाटा को “भारत रत्न” से नवाजा जाए। जीवन ऐसा होना चाहिए, जैसा रतन टाटा का रहा। तमाम उद्योगपति अपनी प्रतिस्पर्धा को छोड़कर रतन टाटा का समान सम्मान करते रहे। तमाम राजनीतिक दल और उनके नेता दलीय राजनीति से ऊपर उठकर रतन टाटा का सम्मान करते रहे। देश के इतने बड़े उद्योगपति होने के बावजूद उन्होंने कभी अपनी रईसी का प्रदर्शन नहीं किया। सादा जीवन जीते रहे और लोगों से प्यार करते रहे। सादगी भरा जीवन ही उनकी महानता रही।
देश के कई उद्योगपति हैं जिनके आलीशान घरों के बारे में जब तब चर्चा होती रहती है। उनके आवासों के विहंगम फ़ोटो भी आते रहते हैं, लेकिन रतन टाटा कहाँ और किस घर में रहते हैं, यह ज्यादातर लोग आज तक नहीं जानते। कौन उनके सगे संबंधी हैं, कौन रिश्तेदार हैं, कोई नहीं जानता। रतन टाटा की साख इतनी बड़ी थी कि बड़े-बड़े राजनीतिक दल और सरकारें उन्हें आमंत्रित करते थे कि हमारे राज्य में आइए।
यहाँ प्लांट लगाइए। याद है जब सिंगूर में नैनो प्लांट का तृणमूल कांग्रेस ने ज़बर्दस्त विरोध किया तो महाराष्ट्र और गुजरात सरकार ने सामने आकर रतन टाटा से निवेदन किया कि आप नैनो प्लांट हमारे राज्य में लगाइए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तब गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे और टाटा ने तब मोदी के अनुरोध पर अहमदाबाद के पास साणंद में नैनो प्लांट लगाया था। ये वही नैनो कार थी, रतन टाटा को जिसका ख़्याल एक परिवार को बारिश में भीगते हुए देखकर आया था। एक लाख की सबसे कम क़ीमत की कार बनाने की बात तभी रतन टाटा ने ठान ली थी, जिसे करके भी दिखाया।
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