राजनांदगांव। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर राजनांदगांव शहर के प्रसिद्ध दीपदान स्थल मोहारा नदी में दीपदान के लिए गौ संस्कृति अनुसंधान संस्थान राजनांदगांव द्वारा देशी गाय के गोवर से बने तैरने वाले दिये की व्यवस्था की गई थी।
जल प्रदूषण को नियंत्रित करने हेतु बनाए गए गोबर के दीपक का बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने दीपदान के लिए उपयोग किया। नदी के पानी को प्रदूषित करने वाले दीयों के बदले प्राकृतिक रूप से देशी गाय के गोवर से बने दीयों की जगमग से लोगों को जल प्रदूषण के प्रति जागरूक भी किया गया।
एक वर्ग जहां थर्माकोल, डिब्बे, प्लास्टिक के दोना-पत्तल आदि से प्रदूषण युक्त दीपदान कर रहे थे, वहीं दूसरी तरफ नदी को प्रदूषण से बचाने के लिए जागरूक श्रद्धालु गोवर से बने दीयों से दीपदान कर रहे थे।
गौ संस्कृति अनुसंधान संस्थान राजनांदगांव के अध्यक्ष राधेश्याम गुप्ता ने कहा कि कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर नदी में दीपदान एवं स्नान की महिमा शास्त्रों में बताई गई है, लेकिन आज अज्ञानतावश नदी में दीपदान के लिए थर्माकोल, नकली तेल, प्लास्टिक, झिल्ली सहित अन्य अनुचित साधनों का प्रयोग करते हैं।
नागरिकों को जल प्रदूषण के प्रति जागरूक करने एवं दीपदान के लिए एक बेहतर विकल्प देने के उद्देश्य से गोवर से बने दीये के साथ बाती व शुद्ध तेल उपलब्ध कराये गये थे।
उन्होंने गौशालाओं को स्वावलंबी बनाने, गौ के संरक्षण व संवर्धन तथा पर्यावरण सुरक्षा के लिए विभिन्न पर्वों में दीपदान के लिए गोवर से बने दीपक का उपयोग करने का निवेदन किया।
इस अवसर पर संस्थान के सदस्य आर्य प्रमोद कश्यप, डिलेश्वर साहू, आचार्य डॉ. अपूर्व प्रधान, पुरूषोत्तम देवांगन, बाल गौसेवक आयान एवं आराध्या का विशेष सहयोग रहा।
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