धमतरी । जल संरक्षण के उद्देश्य से धमतरी जिले के किसान अब धान फसल के अलावा दलहन-तिलहन फसल की ओर आकर्षित हो रहे हैं। धान की तुलना में दहलन-तिलहन की फसल को कम जल की आवश्यकता होती है। प्रशासन के जागरूकता अभियान और स्वप्ररेणा से इस साल धमतरी जिले के 12 हजार से अधिक किसान रबी फसल में धान की बजाय दलहन-तिलहन की फसल लगाएंगे।
पूरी दुनिया जल संकट के दौर से गुजर रही है, जिससे हमारा प्रदेश और जिला भी अछूता नहीं है। जिले के अनेक गांव में ग्रीष्मकाल में नलकूप की धार कम हो जाती है, वहीं हैण्डपंप बंद होने लगता है। केंद्रीय भूमि जल बोर्ड द्वारा जिला धमतरी के विकासखण्ड कुरुद एवं धमतरी को सेमी क्रिटिकल (जटिल)जोन में रखा गया है। सेमी क्रिटिकल (जटिल) का आशय यह है कि अभी जल संरक्षण करें अन्यथा गंभीर समस्या उत्पन्न हो सकती है। जिले के बेन्द्रानवागांव, धौराभाठा, कुम्हारी, अंपरी, नवागांव थुहा, चिंवरी, मुल्ले तथा आमदी में गंभीर जल संकट का सामना करना पड़ रहा है। जिले के श्रम साधक कृषकों द्वारा खरीफ एवं रबी के मौसम में बहुतायत रकबे में धान लगाई जाती है। ग्रीष्मकालीन धान लगाने से अधिक भू- जल का दोहन होता है इस बात को ग्रामीण एवं कृषक भली भांति जानते हैं। गर्मी के मौसम में सभी जगहों का भू-जल सामान्य से नीचे चली जाती है। ऐसे परिस्थितियो में अधिक धान लगाने वाले ग्रामों में निस्तारी की समस्या उत्पन्न हो जाना स्वाभाविक है तथा इन समस्या का सामना प्रति वर्ष करना पड़ता है। इन्हीं तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए प्रभावित कुछ गांवों के ग्रामीणों, ग्राम विकास समिति, ग्राम सुरक्षा समिति एवं प्रकृति प्रहरियों द्वारा स्वतंत्रता पूर्वक एक मत होकर स्वेच्छा पूर्ण निर्णय लिया गया कि ग्रीष्मकाल में अधिक जल मांग वाली धान फसल ना ले तथा कम जल मांग वाली दलहन तिलहन का उत्पादन करें। यदि कोई भी व्यक्ति ग्रीष्मकालीन धान लगाएगा तो ग्राम की निर्णय का उल्लंघन होगा।
जिले के परसतराई, बगदेही, गुहाननाला, राँया, गुजरा, भोथीपार आदि ग्रामीणों द्वारा व्यापक रूप से ग्रीष्मकालीन धान को हतोत्साहित कर दलहन तिलहन को प्रोत्साहित किए जाने की जानकारी प्राप्त हुई है जो कि ग्रामीणों, ग्राम विकास समिति, ग्राम सुरक्षा समिति एवं प्रकृति प्रहरियों द्वारा स्वतंत्रता पूर्वक एक मत होकर स्वेच्छा पूर्ण निर्णय लिया जाना सराहनीय कदम है। कृषकों द्वारा लिये गए निर्णयों को प्रोत्साहित करते हुए जिला प्रशासन एवं कृषि विभाग द्वारा पहल की गई है तथा इन ग्रामों में बहुतायत मात्रा में दलहन एवं तिलहन बीज उपलब्ध कराए गए है। जिले में 182 गांव में फसल चक्र परिवर्तन शिविर आयोजित किये गए है, वहीं 48 गांव में विशेष शिविर लगाये गए, जिले में संचालित उद्यानिकी, कृषि महाविद्यालयों के द्वारा 05 ग्रामों में कृषि कार्य अनुभव शिविर लगाये गए है। जिले के लगभग 12 हजार 480 किसान प्रत्यक्ष रूप से फसल चक्र परिवर्तन हेतु सहभागिता दे रहे है, अब तक 3188 क्विं. बीज का वितरण किया गया है, उनमें समिति के 1008 क्विं.. बीज ग्राम, प्रदर्शन 1874 एवं नगद 306 क्विं. दलहनी/तिलहनी फसलों के बीज का वितरण किया गया है।
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