कोंडागांव। वर्तमान में महुआ इकट्ठा करने की दृष्टि से पेड़ों के नीचे ग्रामीणों द्वारा लगाई जाने वाली आग अनियंत्रित होकर फैल जाती है। साथ ही साल बीज सीजन में साल बीज इकट्ठा कर उसे वन क्षेत्र में जलाये जाने के कारण, तेन्दूपत्ता संग्रहण के लिए बूटा कटाई के दौरान अच्छे पत्ते प्राप्त करने की दृष्टि से अज्ञानतावश जलाये जाने के कारण एवं बिड़ी-सिगरेट अथवा ज्वालनशील प्रदार्थ को मार्ग के किनारे फेंकने से वनों में आग लगने की घटनाएं बढ़ती है।
अग्नि से हानि अग्नि से पुनरूत्पादन को क्षति पहुंचती है जहां एक ओर प्राकृतिक पुनरूत्पादन के लाखों पेड़ नष्ट हो जाते हैं, दूसरी ओर वृक्षों की काष्ठ की गुणवता भी प्रभावित होती है। अग्नि से छोटे-छोटे औषधि पौधे जल कर नष्ट हो जाते हैं एवं वन्य जीव भी प्रभावित होती है।
वन मंडलाधिकारी केशकाल ने बताया कि अग्नि की रोकथाम विभागीय अमले, अग्नि सुरक्षा श्रमिक एवं संयुक्त वन प्रबंधन समिति के सदस्यों के द्वारा टीम गठित कर रोकथाम किया जाता है, परिक्षेत्र स्तर पर अग्नि सुरक्षा के संबंध में शहरी, ग्रामीण क्षेत्र के प्रत्येक साप्ताहिक बाजार में नुक्कड़ नाचा के माध्यम से आम जनों के बीच प्रचार-प्रसार कर लोगों को जागरूक किया जा रहा है एवं वनमंडल स्तर पर फॉयर कन्ट्रोल सेल का गठन किया गया है। वनमण्डल केशकाल द्वारा ग्रामीणों से महुआ बिनने वालों से जंगल में आग न लगाने और वनों को आग से बचाने की अपील की गई है।
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