बड़ेसट्टी में 33 नक्सलियों का आत्मसमर्पण, पंचायत को मिली आज़ादी

 


सुकमा। छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले की बड़ेसट्टी ग्राम पंचायत ने राज्य में एक ऐतिहासिक मिसाल कायम की है। यह पंचायत अब प्रदेश की पहली नक्सल मुक्त पंचायत बन गई है। यहाँ सक्रिय रहे 11 नक्सलियों, जिनमें 2 महिलाएं भी शामिल हैं, ने पुलिस अधीक्षक कार्यालय सुकमा में आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया। इनके साथ ही अन्य 22 नक्सलियों ने भी नक्सल पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर समाज की मुख्य धारा में शामिल होने आत्मसमर्पण किया। इससे बस्तर के अन्य क्षेत्रों में भी नक्सल प्रभावित गांवों को मुख्यधारा में लाने की उम्मीद और तेज हो गई है।

यह सफलता मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के संवेदनशील, दूरदर्शी नेतृत्व और गृहमंत्री विजय शर्मा के मार्गदर्शन में चल रही नक्सल उन्मूलन रणनीति का प्रत्यक्ष परिणाम है। छत्तीसगढ़ सरकार की नई नक्सलवादी आत्मसमर्पण, पीड़ित, राहत एवं पुनर्वास नीति 2025 और  नियद नेल्ला नार योजना के प्रभाव से यह आत्मसमर्पण संभव हो सका।

आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों ने पुलिस अधीक्षक किरण चव्हाण, अति. पुलिस अधीक्षक (नक्सल आपरेशन) उमेश प्रसाद गुप्ता, एसडीओपी परमेश्वर तिलकवार एवं डीएसपी मनीष रात्रे के समक्ष आत्मसमर्पण किया।

लंबे समय से संगठन में सक्रिय रहे इन नक्सलियों ने संगठन की अमानवीय सोच, शोषण, भेदभाव और हिंसा से तंग आकर समाज की मुख्यधारा में लौटने का फैसला लिया। उन्होंने बताया कि बाहरी नक्सली नेतृत्व द्वारा स्थानीय आदिवासियों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार किया जाता था।

राज्य सरकार द्वारा  बड़ेसट्टी को नक्सल मुक्त पंचायत घोषित करने के बाद एक करोड़ दिए जाएंगे , जिसका उपयोग शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, पेयजल और सामुदायिक भवन जैसे निर्माण कार्यों में किया जाएगा।

कलेक्टर देवेश कुमार ध्रुव ने बताया कि सभी आत्मसमर्पितों को 50,000 रुपये की प्रोत्साहन राशि, कपड़े व अन्य जरूरी सामान प्रदान किया गया है। प्रशासन की ओर से उन्हें रोजगार, शिक्षा और सामाजिक पुनःस्थापन में हरसंभव मदद दी जाएगी।















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